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महाराष्ट्र विधान मंडल का शीतकालीन सत्र एक महा तक चलना चाहिये --पूर्व सांसद खुशाल बोपचे

महाराष्ट्र विधान मंडल का शीतकालीन सत्र एक महा तक चलना चाहिये --पूर्व सांसद खुशाल बोपचे

संजीव भांबोरे
गोंदिया (ऑल इंडिया प्रतिनिधी ) :- महाराष्ट्र विधान मंडल का शीत कालीन सत्र नागपूर उपराजधानी मे चल रहा है .नागपूर करार के मुताबिक यह शीत कालीन सत्र कि अवधी  एक महिना होना चाहिये. मगर पिछले  कही सालो से नागपूर करार कलम मे हि सिमटकर रह गया है. 1960 मे भाषा वादि प्रांत रचना के बुनियाद पर मराठी भाषिको का एक राज्य हो इस बात पर विदर्भ राज्य हो महाराष्ट्र ने संमिलीत किया गया l
तथा विदर्भ के विकास के लिए एक महिने का शीत कालीन सत्र नागपूर मे होगा ऐसा करार उस समय किया गया है. मगर आये कुछ सालो मे उस नागपूर करार कि अवधी एक दो हप्ता के उपर नहीं जा रही है l इस साल भी दो हप्ते का सत्र चल रहा है l जिसमे महाराष्ट्र सरकार
का कामकाज चालू है l जिसमे कल महाराष्ट्र शिंदे सरकार ने घोषणा कि प्रति हेक्टर 15000 हजार रुपये बोनस सरकार देगी l ओर सत्ता पक्ष के लोग सरकार कि
वाहवाई करने मे जूट गये l बिचारे किसान को यें सरकारी गणित बीज गणित समज मे आया नहीं है l 2020 मे तत्कालीन सरकार ने 700 प्रति कुंटल बोनस दिया था.  अभी के घोषणा का अगर 
विश्लेषण किया जाए   तो यह मात्र दो हेक्टर के लिए योजना लागु कि गयी याने दो हेक्टर के उपर जमीन मे होणे वाली खेती  इस योजना ( लाभ ) से  वंचित रहेगी . यें एक बात सरकार कि खरेदी प्रति एकर 16 क्विंटल कि है .जबकी किसान आज के स्थिती मे प्रति एकर 20 क्विंटल के उपर धान पकाता है l
मगर वर्तमान सरकार के हिसाब से 16 क्विंटल खरेदी का हिसाब किया जाए तो 2 हेक्टर का उत्पादन 80 क्विंटल होगा ओर सरकारी घोषणा के मुताबिक शासकीय मदत 30000 हजार कि होगी  .80 क्विंटल धान  पर मात्र 30000 रुपये कि मदत किसान को मिलेगी .तो प्रति क्विंटल मात्र 375 रुपया बोनस होता है ओर 2 हेक्टर के उपर होणे वाली खेती  यह शासकीय मदत से वंचित रहेगी  l किसान को यें कहने कि बारी आ गयी ( भीक नको पण कुत्रा आवर ) इस मराठी कहावत कि जैसी है l ओर इसलिये हमे माहेरबानी नहीं हमारे मेहनत का दाम मिलना चाहिये अगर 380 का गँस सिलेंडर 1100 रुपये,  47 रुपये का डिझेल 100 रुपये हो शकता है, 60 का पेट्रोल 110 हो शकता है, बिजली का बिल दुगना हो रहा है, फर्टीलायझर कि किंमत आसमान छू रही है मजदूरी मे भी काफी वृद्धी हुयी है तो उत्पादन खर्च के आधार पे लागत मूल्य पर दो गुना मुनाफा देणे कि बात जाहीर करणे वाले केंद्रीय सरकार ने कम से  कम  4 हजार  रुपये मूल्य ओर सुपर फाईन 5 हजार  रुपये प्रति कुंटल जाहीर करना चाहिये राज्य सरकारो के महेरबानी पर निर्भर ना रखते  हुये मुलं किंमत मे हि वृद्धी करनी चाहिये अन्यथा अखिल भारतीय ओबीसी बहुजन महासंघ जन जागरण कर किसानों को जागृत करणे का कार्य करेगा l और अपने अधिकार के लिए जन सक्ती को एक जूट करना होगा सोशल मीडिया पर ख़ुशी जाहीर करणे वालो  सचो  समजो विचार करो....

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