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जब तक ओबीसी समाज  जागृत नही होगा तब तक विकास असंभव  -पूर्व सांसद खुशाल बोपचे

जब तक ओबीसी समाज जागृत नही होगा तब तक विकास असंभव -पूर्व सांसद खुशाल बोपचे

 

संजीव भांबोरे

नागपूर (ऑल इंडिया प्रतिनिधी) :-  जब तक ओबीसी समाज जागृत नाही होगा तब तक ओबीसी समाज का विकास असंभव ओबीसी बहुजन समाजाने संघटित होकर संविधानिक लढाई गल्ली से लेकर संसद तक लडणी होगी तभी ओबीसी समाज का विकास संभव है इसी उद्दिष्ट को लेकर राष्ट्रीय ओबीसी बहुजन महासंघ की स्थापना एक विशिष्ठ उद्देश से की गई हैं l जिसमे शाहु , फुले, आंबेडकरजी के सोच का भारत निर्माण करना है l आझादी के 75 साल हमने पुरे कर लिये,, आझादी का स्वर्ण महोत्सव भी हमारे केंद्रीय सरकार के आदेश पर दिल्ली से गल्ली तक  जस्न मनाया गया l  मगर हम  ओबीसी और बहुजनो की ये बहोत  ही चिंतनीय विषय है l क्या इस देश के ओबीसी बहुजन 85% होने के बाद उनोने एज्युकेशन पढाई , नोकरी, खेती , व्यवसाय के लिए आत्मनिर्भरता की बात तो बहोत की जाती है l  पर   वास्तविकता मे सच्चे मन से इन ओबीसी और बहुजनो के लिए क्या कदम उठाये   गये.. योजनावोकी मात्र घोषणा करना और कृतिशील होकर यथार्त मे तपदिल करणा  इन दोनो बातो मे काफी अंतर है  l और इसलिये आझादी के 75 साल के बावजुद इस देश के ओबीसी बहुजनो आज भी आपके सवैधानिक  अधिकारो की लढाई लढनी पडती है l यह शोकांतिका है l

       इतने सालो मे हम  अभि तक  रिक्तपद ( backlogs ) पूरा नहीं कर पाये शिक्षा के क्षेत्र मे भी आरक्षण बहाल नहीं कर पाये भारत कृषी प्रधान देश होणे के बावजुद भी इस देश का किसान राष्ट्रीय उत्पादक  होणे के बावजुद खर्च पर आधारित  मूल्य किसान को नहीं दे पाया और इसीलिये आज भी देश  की 80% लोगो को अपने अधिकार की लढाई  लढणे के लिए बाध्य होणा पड रहा है l देश आझाद होणे तक जो सुविधाये मुहैया होनी थी  l आझादी के बाद देशवासी योंको उन से भी हात धोना पडा   जैसे की महाराष्ट्र के कोल्हापूर संस्थान मे इ. स. 1902 इस काल मे छत्रपती शाहू महाराज इनके शासन काल मे ओबीसी और बहुजनो को 50% आरक्षण मिल रहा था जिसका जिक्र महात्मा जोतिबा फुले जी ने अपने ( शेतकऱ्यांचा आसूड ) इस ग्रंथ मे किया गया है l  

       सामाजिक न्याय और सामाजिक समता  इस भावना से दिया गया आरक्षण देश आझाद होणे तक सुरु था  मगर देश के आझादी के बाद संविधान रचयता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और देश के पहले कृषी मंत्री डॉ.  पंजाबराव देशमुख  इनके कठीण परिश्रम से घटना के कलम 340 अनरूप ओबीसी प्रवर्ग को दिया गया l

घटना की कलम 341 अनरूप अनुचित जाती ( शेड्युल कास्ट ) और घटना की कलम 342 के अनरूप अनुचित जमाती ( S. T.) इन प्रवर्ग को आरक्षण देणे के संदर्भ मे  दर्ज की गयी है l मगर (S.C. ) प्रवर्ग की जात निहाय सूचि तयार थी l S . T. ( अनुसूचित जमाती ) वर्ग की भी सुची तयार  थी  l उस समय जोडी गयी, मगर ओबीसीयों की जातीया व्यापक रहने के कारण वो उस समय  जात निहाय तयार नहीं थी  l इसलिये शेड्युल  1.  और शेड्युल 2 यह तयार  हुये l मगर ओबीसी की व्यापक जातीया ( बडी तादामे ) रहने के कारण वह जात निहाय यादी तयार नहीं रहने के कारण घटना के 340 वे कलम का शेड्युल बन नहीं पाया इसलिये देश के पहले  लोकसभा ( Parliament ) मे आयोग का गठन कर ओबीसी के सभी वर्ग के जातीयो की सूचि तयार करने की सलाह दि गयी l अनुसूचित जाती और अनुसूचित जमाती  इनकी सूचि तयार  रहने  के कारण दोनो प्रवर्ग को स्वतंत्र भारत मे  15% और 7.5% आरक्षण पढाई और नोकरी मे लागू किया गया मगर ओबीसी प्रवर्ग के जात निहाय सूचीं तयार नहीं रहने के कारण ओबीसी यों को 50% आरक्षण लागू नहीं हो सका  l जिसके लिए आझादी के 75 साल बित जाणे के बाद भी इस देश के अब 60% आबादी को अपने सवैधानिक  अधिकारो से वंचित है l  संविधान के रचयेता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनोने कहा है   की जिसकी जितनी संख्या भारी  उतनी उसकी भागीदारी.... वास्ते शाहू, फुले, आंबेडकर इनके विचारो का भारत  निर्माण करना है l

इस वास्ते देश मे कार्यरत ओबीसी बहुजनो के सभी  संघटनो  को साथ मे लेकरं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के कल्पना का भारत  निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय ओबीसी बहुजन महासंघ की स्थापना की गयी है l

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